समर्पण य आकर्षण!!!!

आकर्षण समझकर जुदा होने वाले,
समर्पण देखकर पिघल मत जाना।।

गैर की बातों पर यक़ी करने वाले,
सच्चाई जानकर कहीं बिखर मत जाना।।

मेरे वजूद में एक दरिया सी गहराई छुपी है,
होकर रूबरू उस दरिया से ग़मज़दा हो मत जाना।।

इल्जामों पर सफाई दूँ ये हुनर सीखा ही नही मैने,
मेरी चुप्पी पर एतबार तुम भी कभी, कर मत जाना।।

सत्य छिपता नही छल व फ़रेब के आगे कभी,
सच सुनकर आप खुद पर भी यक़ी छोड़ मत जाना।।

अतीत के पन्नो पर कभी फुर्सत से नजर डालना,
मेरे गमों की परछाई से रूबरू कहीं हो मत जाना।।

कठपुतली बनकर जो मनोरंजन कर रहे हो सबका,
डर लगता है,
किसी रोज डोर की तरह आप भी टूट मत जाना।।

मै.......एक स्वेतपत्र हूँ ✍




कठोर हो रहे शब्द मेरे,
शायद!!!! खुद से ही त्रस्त हूँ

विरह की तपन नही, एक तृप्त रूह हूँ
मोह व भावनाओं से परे, एक विरक्त देह हूँ

छल,कपट, द्वेष का स्थान ही नही,
सांसारिक बन्धनों से रिक्त, एक स्वेत पत्र हूँ

कर्तव्य से विमुख नही,
सम्बन्धों की विवशता से मुक्त हूँ

सुख व दुख कोई मायने ही नही,
' मै ' को त्यागकर, वैराग्य की दिशा में प्रसस्त हूँ

पथ की शूल सी चुभन स्वीकार करते हुए
खुद में ही खोई कहीं, एक गुमराह शक्ति हूँ

कठोर हो रहे शब्द मेरे,
शायद!!!! खुद से ही त्रस्त हूँ........✍✍✍✍

#सुनिधि

रानी लक्ष्मीबाई जन्मदिवस



मणिकर्णिका नाम जिनका,
वीरांगना महान

भारत माँ की बेटी वो,
निर्भय और बलशाली थी

सन सत्तावन में वो रानी ,
दुश्मन को ललकार थी

झाँसी की वो रानी,
भारत की जान थी

वीरता से अपार,
अचूक जिसका हर एक वार,

ऐसी वीरांगना को,
प्रणाम शत शत बार

#सुनिधि

❤❤❤मोहब्बत ❤❤❤



एक सन्यासी से मोहब्बत का गुनाह कर बैठी,
हर पल जिंदगी का उनके नाम कर बैठी।।

रहते है दूर बो मुझसे इस कदर,
जैसे मोहब्बत नही, कोई गुनाह कर बैठी हूँ।।

सिर्फ, इस जन्म ही नही,
सात जन्मों का रिश्ता बन गया है उस काफिर से....

जिंदगी की हर एक साँस उनके नाम कर बैठी हूँ।।
करते है वो इनकार अपने दिल की हर बात बताने से,

शायद !!!!!!! उनके दिल मे कहीं जगह मैं बना बैठी हूँ।।

सुख और दुख, हर पल की बनना है परछाई मुझको,
हर बुरे साये से उनको बचाने का प्रण ले बैठी हूँ

#सुनिधि

काश!!!




दो क़दम साथ चलते,
मेरे तुम
चंद लम्हो को ही सही,
मेरे हो जाते तुम,
कितनी आरज़ू थी हमे,
एक होने की,
काश! इस तड़प को 
समझ पाते तुम
जिंदगी तू है मेरी,
हर एक लम्हा गुजरता
है तेरी यादों में,
काश! ये कभी महसूस
कर पाते तुम........

#सुनिधि

बाल दिवस



बचपन जिनका जकड़ रखा है,
शोषण की जंजीरों में

वो बेचारे क्या जानेंगे,
बाल दिवस के बारे में

गिनती जिनकी होती है अब
तो बाल मजदूरों में

शिकन बनी रहती चेहरे पर,
उम्र खिलौने वाली मे

क्या कोई जाने बचपन को,
ऐसी बेदर्द बदहाली में

क्या हो पाएगा उजियारा,
उन मासूमो की टोली में
#सुनिधि

बचपना नही गया......


बचपन गुजर गया.
मगर
बचपना नही गया.....

मासूस सी हँसी के साथ,
खिलखिलाना नही गया.....

राहें थी कठिनाई भरी,
तमाम मोड़ से गुजरी जिंदगी

फिर भी दिल का,
दिल से
गुनगुनाना नही गया.....

सुख और दुख के लम्हों को जीते गए
फिर भी आजतक शैतानियाँ करना नही गया

बचपन गुजर गया
मगर
बचपना नही गया....

दिल का दिल से गुनगुनाना नही गया..........
#सुनिधि

नजर आया.......






शहर की धूल में हर कोई धूमिल ही नजर आया,
देखा खुद को तो......
आईने में धुँधला सा एक अक्स नजर आया।।

अपने वजूद को खोकर दुनिया को हँसाने में,
खुद की पहचान को ही कहीं मिटता हुआ पाया । ।

जो उठाते रहे ताउम्र उँगलियाँ बेकसूर पर,
वही शख्स रोशनी में गुनहगार नजर आया।।

कभी सोचते है हम भी तन्हाइयों में अक्सर,
क्या हमने खो दिया, और क्या हमने पाया।l

पर्दा जो हटाना चाहा मतलबी रिश्तों के चेहरे से ,
फ़रेबी दुनियाँ का मंजर बे-नूर नजर आया।।

#सुनिधि ✍

शिकवा



कैद कर दिए जज्बात सभी हमने,
क्यों उन्हें फिर से जगाया तुमने,

खत्म कर दी थी ख्वाहिश सभी,
क्यों फिर नया ख्वाब दिखाया तुमने,

काँच की तरह टूट कर बिखर गए थे हम,
फिरसे टुकड़ो को जोड़कर क्यों तोड़ा तुमने,

दिल बन गया था पत्थर हमारा भी जब,
तो क्यों फिर से मोम बनाया तुमने,

खत्म कर देंगे ये  जिंदगी जो जहर बन गयी है,
जी लेंगे तुम्हारे शिवा ये क्यों सोचा तुमने,

मेरी मोहब्बत का मजाक इस कदर बनाकर,
तुमको क्या लगा है मेरा दिल दुखाया तुमने,

मोहब्बत की मेरे  इन्हां तो देख,
सह गए हर इल्जाम जो लगाया तुमने

#सुनिधि

आजमाइश




बहुत आज़मा लिया है उसने हमको,
अब ये दिल उनको आज़माना चाहता 

चंद रोज का जो उनसे रिश्ता है,
उसे अब मुकम्मल बनाना चाहता है।।

फ़रेब है तो बहुत हो चुका,
अब सच्चाई को सामने लाना चाहता है।।

हर हद पार करके जिसने ज़ुल्म किए,
अब उसी क़ातिल का वार आज़माना चाहता है।।

झूठ का नक़ाब बहुत ओढ़ रखा है जिसने,
बेपर्दा उसको अब करना चाहता है।।

किसी की होड़ नही करना मकसद नही,
बस सच्चाई को सामने लाना चाहता है।।

#सुनिधि

मेरी कहानी




इन वीरानियों की आदत,
पहले तो न थी
चाहत से इस कदर नफरत,
हमको भी न थी ।।

धोखा, फ़रेब, बस आँसूँ
इतनी सी ही सच्चाई है,
जमाने मे इश्क़ की कीमत,
सिर्फ बेबफाई है।।

हमें भी मायूसियों की,
 तलब यूँ न थी,
किसी अपने से नफरत,
इस कदर न थी।।

छूट गए वो अपने, जो पराए थे
चेहरों के नकाब को समझने की आदत न थी।।
हर पल छला, हर कदम पर सबने,
फिर भी फ़ितरत में मेरी बेबफाई न थी।।

जिनको जितनी इज्जत दी,
उसने उतनी ही रुशवाई दी,
मेरी सिसकियों की आवाज,
बस तन्हाइयों में सुनाई दी।।

नाज़ था कि मेरे साथ मेरी परछाइयाँ थी,
पीछे मुड़ के मगर देखा, सिर्फ गुमनामियाँ थी
वक़्त, बेवक्त छोड़ते गए साथ सब,
बस आँसुओं में लिपटी इतनी सी मेरी कहानी थी.......

#सुनिधि

बेवफा बनकर दिखाया है...........




कुछ इस कदर हमने मोहब्बत को निभाया है,
दिल मे दर्द सहकर भी हर पल मुस्कुराया है।।

आपकी गलतफहमी है कि आपने मुझे ठुकराया है,
सिर्फ आपकी खुशी की खातिर मैंने दिल अपना दुखाया है।।

गम तो है ही नही किसी बात का अब मुझको,
जो भी चाहा वो साबित करके दिखाया है।।

करते है यहाँ सभी मोहब्बत में खुद को आबाद,
बदनाम आपके इश्क़ में खुद को, हमने करके दिखाया है।।

मेरी चाहत न कल समझ पाए थे न अब कभी समझोगे आप,
आपसे रिश्ता तोड़ा नही है, खुद आप से ही तुड़वाया है।।

हासिल करूँ आपको ये कभी ख्वाहिश ही न थी मुझको,
आपसे रिश्ता जिस्म का नही, मैंने रूह का बनाया है।।

जिन तकलीफों के साये से बचाकर आपको रखना था,
आज उस मोड़ पर खुद को ही हमने ले आया है।।

बदनामी के साये से बचाने के लिए आपको ,
हमने खुद ही बेवफा बनकर के दिखाया है.......

#सुनिधि

तेरी यादें



लाख गम सहकर भी हम उनसे चाहत निभा गए,
अधूरी चाहत की दास्तान भरी महफ़िल में सुना गए।।

यूँ तो जरूरी नही हर मोहब्बत को मुक़ाम मिले,
फिर भी हम तेरे इंतजार में जिंदगी गुजार गए।।

सूखे पत्ते पतझड़ में भी पेड़ों  बफादारी निभा गए,
टूट गए साख से फिर भी उनके कदमों में आ गए।।

तुमसे क्यों न कहीं गयी कोई नज़्म हमारे लिए,
हम तो तेरी चाहत में कितने तराने बना गए।।

कभी सोचते तुम हमारे लिए एक घड़ी को ही सही,
हम तो हर वक़्त जिंदगी का  तेरी यादों में बिता गए।।

जो उलझने रोकती है तुम्हे मेरा होने से हर वक़्त,
हम उनसे हार मान कर तन्हाइयों में आ गए।।

#सुनिधि

मोहब्बत का दिखावा





जो इज्जत नही करते वो भी मोहब्बत की मिशाल देते है
खुद ही हर रोज अपने महबूब पर कीचड़ उछाल देते है।।

तमाशा बना रखा है भावनाओं का खुद ने ही,
खुद ही कहते है कि सब सवाल करते है।।

मोहब्बत का एक अक्षर भी जिनकी समझ से परे है,
वो भी यहाँ मोहब्बत पर जुमले मार लेते है।।

भरोसा नही करते है  दिलबर पर अपने रत्ती भर,
और कहते फिरते है कि हम उन पर जान देते है।।

समझना  तो बहुत दूर की कौड़ी है मेरे दोस्त,
आप तो खुद की जुबानी अपने दिल का हाल कहते है।।

पहले यकीं करना तो सीख लो जनाब,
क्यों ऐसे अपने महबूब को बदनाम करते हो।।

#सुनिधि

#pradyumnwantsJustice

#pradyumnwantsJustice

बचपन को जाना भी न था उस मासूम ने अभी,
किसी की बदनियत का शिकार बन गया वो तभी।।

फूल सी मुस्कान लेकर जो सबका दिल जीत लेता था,
हर दिल के बगीचे में फूलो सा घर कर लेता था।।

उसी मासूम की खामोशी ने कलेजा छलनी कर दिया,
क्यों एक दरिंदे ने उसके जीवन का दीपक बुझा दिया।।

उस मासूम की आत्मा को भी शांति तब मिलेगी,
जब उसके कातिल की जिंदगी सरेआम जलेगी।।

उस माँ की आँखों की नमीं शायद तब ही जाएगी,
अदालत जब उस कातिल को मौत की सज़ा सुनाएगी।।

इंसाफ ऐसा हो कि गुनहगार की रूह काँप जाए,
शायद! तब ही हमारे बच्चों को कानून पर यक़ी आए।।
#सुनिधि

श्रीकृष्ण_जन्माष्टमी



नटखट,
नन्द किशोर,
छैल छबीला
मन को भाए बाल-लीला

चंद्रचकोर
मोहनी मूरत
और
बाललीला,
हर रूप में श्याम रंगीला,

राधारमण
केसरीनन्दन
बाँसुरी वाला
गोपियों का सांवला सलोना

पीताम्बर,
मोरमुकुट
सुदर्शन धारी
कर दो कृपा श्री कृष्ण मुरारी

#स्वतंत्रता_दिवस


स्वतंत्रता मिले कई साल गुजर गए,
इसकी आजादी को कई लाल गुजर गए

नजर आती ही नही स्त्रियों की अब भी स्वतंत्रता,
उनके तो अब भी  पर्दे में साल के साल गुजर गए,

क़ैद है अब भी चाहरदीवारी में जानवरों की तरह,
कैसे कह दें हम कि जमाने के ख्यालात बदल गए,

आतंकवाद और भ्रष्टाचार के पंजे में है देश अब तलक,
फिर भी कहते है नेता सब कि देश के हालात बदल गए

व्याप्त है हर कदम पर पहले सी ही सब बुराइयाँ,
अच्छे दिनों की आस में साल दर साल बदल गए

जश्न ए आजादी में डूब जाते है साल में दो बार जरूर,
बड़ी जल्दी ही आज़ादी के हर  मायने बदल गए

स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान पर करते है शियासत,
भारत के वीर सपूतों के बलिदान पर, ख्यालात बदल गए

पत्थरबाजी करते है खुद, वतन के रक्षकों पर
अब तो आज़ादी के चाहने वालों के हाल बदल गए,

देश रहकर भी करते है गैर मुल्क की वकालत,
बस ऐसे गद्दारों के कारण ही देश मे हालात बदल गए


नजर आते है शहर में हर तरफ तिरंगे एक रोज जरूर,
क्या खूब!   देशप्रेमियों के जज्बात बदल गए
#जय_हिंद
#सुनिधि

#गोरखपुर #दर्दनाक_हत्याकाण्ड


नेताओ ने फिर से एक तमाशा बना दिया है,
बच्चों की लाश को भी एक मजाक बना दिया है।।

गरीबों के घर के चिराग़ों को बुझाकर श्मशान बना दिया है
फिर से सिस्टम की लाचारी ने जिंदगी का तमाशा बना दिया है।।

लूट कर जनता को खाने को ही घूमते रहते है,
हर घड़ी सत्ता का बस सुख भोगने को फिरते है।।

दुख गरीबों का नजर में आता सिर्फ वोट के लिए है
घर मे जाकर कभी दलित, कभी गरीब बन जाते है।।

सिर्फ बहा कर आँसू जनता को दिखाते है,
दोषियों के खिलाफ क्यों नही कड़े कदम उठाते है।।

बयान बाजी से ही बस सिस्टम में सुधार करते है,
क्यों सभी फिर भी ऐसे नेताओं से आस करते है।।

चेहरे मोहरे सिर्फ शियासत में बदलते रहते है,
कहाँ कोई है ऐसा जो जनता की फिक्र करता है।



#सुनिधि

#फ्रेंडशिप_डे



चंद लम्हों में जो अपना बना ले,
बो जज्बात है दोस्ती।।

हर हाल में भी साथ न छोड़े ,
बो  साथ है  दोस्ती  ।।

सिर्फ सुख का ही साथी नही बल्कि,
हर दुख में भी हिस्सेदार होता है दोस्त।।

जिनके साथ गम को भूला बैठें बो होता है दोस्त,
दुनियाँ  का  सबसे  अनमोल  बन्धन  है  दोस्त ।।

कोई कहे न कहे मगर याद आता है हर बिछड़ा यार,
सारे रिश्तों से प्यारा है ये ............दोस्तों का प्यार।।

इस रिश्ते की ताकत को मानता है संसार,
कभी न मिटने वाला है इस रिश्ते में प्यार।।

याद आतें है बहुत जो कभी न मिल पाएंगे,
जब भी बचपन याद आएगा बो बहुत रुलायेंगे।।

जो बिछड़ गए उनकी भी सलामती की दुआएं करते है,
काश!! किसी मोड़ पे मिल जाए यही फरियाद करते है।।

दोस्तों से बस एक ही वादा चाहते है अब,
उम्र भर न साथ छूटे यही एतबार चाहते है अब।।

कठिनाइयों को पार करने का हौसला रखते है,
जो कभी न न टूट पाए ऐसा बन्धन का फैसला रखते है।।


#सुनिधि


प्यारा भाई



थोड़ा जिद्दी, थोड़ा सोना
ऐसा है मेरा भाई सलोना

छोटा होकर रौब जमाना,
बात बात पर रुठ जाना

प्यार करे पर ताने देना,
ऐसा है मेरा भाई सलोना,

दूर जाओ पर भूल न जाना,
अगली राखी संग मनाना

जल्दी घर आ बोले बहना,
बिन भाई अब है सब सूना

भाई बहन का रिश्ता ऐसा,
इसके आगे है सब सस्ता,

झगड़ झगड़ पर प्यार दिखाना,
खुद रूठे,खुद ही मन जाना

ऐसा है मेरा भाई सलोना
बड़ी बहन एक प्यारी है,

घर की राज दुलारी है,
उनका भी है राजदुलारा,


रक्षाबन्धन आया है,
खुशियाँ ढेरों लाया है,

साथ कभी न अपना छूटे,
चाहे सारा ये जग रूठे,

खुशियाँ चूमे कदम तुम्हारे,
चमके किश्मत के सब तारे

कामयाबी खुद पीछे आये,
जग में खूब नाम कमाए,

बचपन से हम लड़ते आए,
फिर भी एक दूजे बिन रह न पाए,

भाई-बहन का रिश्ता अनमोल,
इस रिश्ते का कोई न मोल,

चाहे कोई भी पल आए,
अपना बन्धन तोड़ न पाए,
#सुनिधि

नारी का अस्तित्व




औरत का अस्तित्व कब दिखाई पड़ा है?
कैद में समाज की हर वक़्त गला है,

औरत को जलील करने का एक दौर चला है,
भीड़ में मर्दो की हर वक़्त जला है,

संस्कारों के नाम पर जमाने ने छला है,
उसको समझ कर औरत हर कोई कुचलने चला है,

लूट कर आबरू उसकी "जीते जी मौत" का पैगाम मिला है

#सुनिधि

कारगिल विजय दिवस

एक शहीद की विधवा की दुहाई है,
उसने रो रो के आज अपनी व्यथा सुनाई है……..
जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे थे,
देखने वाले भी मासूम के दर्द से हारे थे।।
मेहन्दी का रंग हाथ से उसके उतर भी न पाया था,
जब किसी ने उनके जाने का पैगाम सुनाया था।।
अपनी ख़ुशनुमा जिंदगी के सब सपने जल गए थे,
मगर फिर भी सुहागन ने जब विधवा के हर रश्म निभाए थे।।
चंद रोज को ही कलाई में उसकी चूड़ी खनक पाई,
दर्द सीने में कैद करके बो ठीक से रो भी नही पाई।।
उस माँ के दिल का दर्द कोई क्या समझा था,
जिसके जिगर का टुकड़ा तिरंगे में लिपटा था।।
गर्व तो है सभी को उनके शहीद होने का,
उनका मातृभूमि के लिए बलिदान देने का।।
मगर कबतक शहीद यूँही कुर्बानियां देंगे,
अपने बच्चों को छोड़ कर वीरानियाँ देंगे।।
कुछ हो ऐसा जो कोई दुश्मन आंख न उठा पायें,
अपने वीर सिपाही भी वतन की सेवा और कर पायें।।
फिर कोई सुहागन का न सुहाग इस कदर उजड़े,
किसी माँ का लाल इस कदर न तिरंगे में फिर लिपटे,
देश की सेवा करना ही धर्म अपना है,
शत्रु को जड़ से मिटाना संकल्प अपना है।।
#सुनिधि

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