#विरह!!
की बेड़ियों में जकड़ी हुई,,
#अश्रु-पूर्ण
#व्याकुलता लिख रही हूँ.....
किसी प्रेयसी की,,
#आशा, व्याकुल तड़प को ,,
#प्रेम की निराशा लिख रही हूँ…..
विवशता के मार्ग पर,
वेदना के कर्कश स्वरों की,,
एक दर्दनाक दास्तां लिख रही हूँ.....
बेबस सुबकियां से,
विरक्त रूह को,,
शब्दों से दिलासा लिख रही हूँ......!!
©
सुनिधिचौहन✍
@Sunidhichauhaan
0 comments:
Post a Comment