बुढ़ापा जब तेरा दरवाजा खटखटाएगा।
हमसफ़र क्या चीज है ये तब समझ आएगा।।
यादों के भँवर में जब भुलावे का असर छाएगा,
हर कोई खीजेगा, हर कोई चिल्लाएगा...
मग़र
हमसफ़र बनकर तेरा हमराज़ हर एक बात याद दिलाएगा,
बनेगा वो ही तेरा साथी, वरना हर बन्धन तो सिर्फ ठुकराएगा।।
बुढ़ापा जब तेरा दरवाजा खटखटाएगा।
हमसफ़र क्या चीज है ये तब समझ आएगा।।
क्या अपना क्या पराया हर कोई तुझ पर जब चिल्लाएगा,
रिश्तों के नाम मे जब स्वार्थ नजर आएगा...
मग़र
जीवन का हर स्वप्न बिखरता हुआ नजर आएगा तब सिर्फ..
हमसफ़र ही थामकर हाथ तुझे आखिरी मंजिल तक ले जाएगा।।
बुढ़ापा जब तेरा दरवाजा खटखटाएगा।
हमसफ़र क्या चीज है ये तब समझ आएगा।।
#सुनिधिचौहान✍
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