जो इज्जत नही करते वो भी मोहब्बत की मिशाल देते है
खुद ही हर रोज अपने महबूब पर कीचड़ उछाल देते है।।
खुद ही हर रोज अपने महबूब पर कीचड़ उछाल देते है।।
तमाशा बना रखा है भावनाओं का खुद ने ही,
खुद ही कहते है कि सब सवाल करते है।।
खुद ही कहते है कि सब सवाल करते है।।
मोहब्बत का एक अक्षर भी जिनकी समझ से परे है,
वो भी यहाँ मोहब्बत पर जुमले मार लेते है।।
वो भी यहाँ मोहब्बत पर जुमले मार लेते है।।
भरोसा नही करते है दिलबर पर अपने रत्ती भर,
और कहते फिरते है कि हम उन पर जान देते है।।
और कहते फिरते है कि हम उन पर जान देते है।।
समझना तो बहुत दूर की कौड़ी है मेरे दोस्त,
आप तो खुद की जुबानी अपने दिल का हाल कहते है।।
आप तो खुद की जुबानी अपने दिल का हाल कहते है।।
पहले यकीं करना तो सीख लो जनाब,
क्यों ऐसे अपने महबूब को बदनाम करते हो।।
क्यों ऐसे अपने महबूब को बदनाम करते हो।।
#सुनिधि
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