नारी का अस्तित्व




औरत का अस्तित्व कब दिखाई पड़ा है?
कैद में समाज की हर वक़्त गला है,

औरत को जलील करने का एक दौर चला है,
भीड़ में मर्दो की हर वक़्त जला है,

संस्कारों के नाम पर जमाने ने छला है,
उसको समझ कर औरत हर कोई कुचलने चला है,

लूट कर आबरू उसकी "जीते जी मौत" का पैगाम मिला है

#सुनिधि

2 comments:

  1. Kya ye 1 parampara ban chuki hai ???? Iss soch ko badalna hoga....nhi to isse vinash he hoga...koi rok nhi sakta...

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