एक सन्यासी से मोहब्बत का गुनाह कर बैठी,
हर पल जिंदगी का उनके नाम कर बैठी।।
हर पल जिंदगी का उनके नाम कर बैठी।।
रहते है दूर बो मुझसे इस कदर,
जैसे मोहब्बत नही, कोई गुनाह कर बैठी हूँ।।
जैसे मोहब्बत नही, कोई गुनाह कर बैठी हूँ।।
सिर्फ, इस जन्म ही नही,
सात जन्मों का रिश्ता बन गया है उस काफिर से....
सात जन्मों का रिश्ता बन गया है उस काफिर से....
जिंदगी की हर एक साँस उनके नाम कर बैठी हूँ।।
करते है वो इनकार अपने दिल की हर बात बताने से,
शायद !!!!!!! उनके दिल मे कहीं जगह मैं बना बैठी हूँ।।
सुख और दुख, हर पल की बनना है परछाई मुझको,
हर बुरे साये से उनको बचाने का प्रण ले बैठी हूँ
हर बुरे साये से उनको बचाने का प्रण ले बैठी हूँ
#सुनिधि
जब दर्द और कड़वी बोली दोनों मीठी लगने लगे
ReplyDeleteतो समाज लेना की जीना आ गया……
@wahidrza6
हमेशा उन्ही के करीब मत रहीऐ
ReplyDeleteजो aap को खुश रखते है
बल्कि कभी उनके भी करीब जाइये
जो आपके बिना खुश नही रहत..