लिख रही हूँ…..


#विरह!!
की बेड़ियों में जकड़ी हुई,,
#अश्रु-पूर्ण 
#व्याकुलता लिख रही हूँ.....

किसी प्रेयसी की,,
#आशा, व्याकुल तड़प को ,,
#प्रेम की निराशा लिख रही हूँ…..

विवशता के मार्ग पर,
वेदना के कर्कश स्वरों की,,
एक दर्दनाक दास्तां लिख रही हूँ.....

बेबस सुबकियां से, 
विरक्त रूह को,,
शब्दों से दिलासा लिख रही हूँ......!!


         ©
सुनिधिचौहन✍
@Sunidhichauhaan

उन्हें मेरी याद,, आयी नही,

उन्हें मेरी याद,, 
     आयी नही,

ऐसा लगता है, 
    जाँ मुस्कुराई नही।

हुई शाम फिर से,
     वही चाँद आया...
मगर चाँदनी,
     फिर से छाई नही।।

ऐसा लगता है ,,  जाँ मुस्कुराई नही.....

मौन मानो,,  है ठहरा ,,
       इन अधरों पर आकर,
जैसे बरसों से धुन,
      गुनगुनायी नही।

ऐसा लगता है ,,  जाँ मुस्कुराई नही.....

#सुनिधिचौहान

इश्क़!! दोबारा हुआ है...✍









ख़्वाहिशों की दहलीज़ पर,,
    दस्तक!! कोई फिर से दिया है
ऐसा लगता है,,
इश्क़ !!
दोबारा हुआ है...!!

बेपनाह फ़िक्र,

बेशुमार मोहब्बत
और वक्त,, बेवक्त जिक्र....
किसी का लबों को छुआ है
जैसे शम्मा की चाहत में,,
     परवाना मदमस्त हुआ है...!!
ऐसा लगता है,,
इश्क़ !!
दोबारा हुआ है...!!

वही चाहत,

वही राहत
वही एहसास पुराना,,
    आज फिर से जिया है...!!
ऐसा लगता है ,,
इश्क़ !!
दोबारा हुआ है...!!

एक अजनबी सा साथ,

    थामकर हाथों में हाथ,,
शाम की तन्हाइयों को,,
      आलम!! कोई गुलज़ार किया है...
ऐसा लगता है,,
इश्क़ !!
दोबारा हुआ है... !!

©

सुनिधिचौहन✍
@Sunidhichauhaan



एक रेखागणित है......कविताएँ✍

सुनिधि चौहान✍

 📖......कविताएँ.....✍

शब्दों की त्रिज्या से,,
भावों की परिधि को
स्पर्श करने का सूत्र ही तो हैं....
कविताएँ...★

इसकी व्यापकता में,,
अनन्त अनुभूतिओं का साथ,,

दुःख, सुख,वियोग, वेदना का,,
हृदयस्पर्शी व्यास ही तो है
कविताएँ....★

मन की उथलपुथल को,,
प्रीत के आधार पर,,
अंकित करती हुई जीवा ही तो है,,
कविताएँ......★

©
सुनिधि चौहान✍
@Sunidhichauhaan

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