उन्हें मेरी याद,,
आयी नही,
ऐसा लगता है,
जाँ मुस्कुराई नही।
हुई शाम फिर से,
वही चाँद आया...
मगर चाँदनी,
फिर से छाई नही।।
ऐसा लगता है ,, जाँ मुस्कुराई नही.....
मौन मानो,, है ठहरा ,,
इन अधरों पर आकर,
जैसे बरसों से धुन,
गुनगुनायी नही।
ऐसा लगता है ,, जाँ मुस्कुराई नही.....
#सुनिधिचौहान✍
आयी नही,
ऐसा लगता है,
जाँ मुस्कुराई नही।
हुई शाम फिर से,
वही चाँद आया...
मगर चाँदनी,
फिर से छाई नही।।
ऐसा लगता है ,, जाँ मुस्कुराई नही.....
मौन मानो,, है ठहरा ,,
इन अधरों पर आकर,
जैसे बरसों से धुन,
गुनगुनायी नही।
ऐसा लगता है ,, जाँ मुस्कुराई नही.....
#सुनिधिचौहान✍
0 comments:
Post a Comment