ख़्वाहिशों की दहलीज़ पर,,
दस्तक!! कोई फिर से दिया है
ऐसा लगता है,,
इश्क़ !!
दोबारा हुआ है...!!
बेपनाह फ़िक्र,
बेशुमार मोहब्बत
और वक्त,, बेवक्त जिक्र....
किसी का लबों को छुआ है
जैसे शम्मा की चाहत में,,
परवाना मदमस्त हुआ है...!!
ऐसा लगता है,,
इश्क़ !!
दोबारा हुआ है...!!
वही चाहत,
वही राहत
वही एहसास पुराना,,
आज फिर से जिया है...!!
ऐसा लगता है ,,
इश्क़ !!
दोबारा हुआ है...!!
एक अजनबी सा साथ,
थामकर हाथों में हाथ,,
शाम की तन्हाइयों को,,
आलम!! कोई गुलज़ार किया है...
ऐसा लगता है,,
इश्क़ !!
दोबारा हुआ है... !!
©
सुनिधिचौहन✍
@Sunidhichauhaan
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