😍मेरे पापा✍😍😍😍


मेरी हर परेशानी पल में खत्म हो जाती हैं,
जब मेरे पापा की प्यार भरी आवाज मुझे आती है...

कभी हो जाती हूँ हताश तो वो हौसला देते हैं
निराश खत्म कर एक नयीं राह दिखाते हैं..
कैसे छोड़ दूँ मैं जीवन पथ पर अग्रसर होना...
मेरे पापा हर कदम पर जब मेरा हाथ पकड़े हैं।।

हर दुख से वो मुझे आज भी बचाती है,
जब मेरे पापा की प्यार भरी आवाज मुझे आती है...

यूँ तो तमाम गलतियाँ मैं रोज करती हूँ,
ये भी है सच माँ की डाँट खूब सुनती हूँ..
जाती हूँ रूठ पापा से, कभी पापा को परेशान करती हूँ..
लेकिन सच है मेरे पापा है सबसे प्यारे ये बार बार कहती हूँ।।


कितनी भी हो जाऊँ गुस्सा पर तब मान जाती हूँ,
जब मेरे पापा की प्यार भरी आवाज मुझे आती है...

बच्चों की कामयाबी में पिता खुद को कामयाब समझते है,
खुद के जीवन भर के संघर्ष को सार्थक समझते है...

इसलिए सिर्फ इतना है मेरा सबसे कहना..
चाहे कितनी भी हो मुश्किल अपने माता-पिता का दामन मत छोड़ना।।

#सुनिधिचौहान✍

👫 हमसफ़र.......✍





बुढ़ापा जब तेरा दरवाजा खटखटाएगा।
हमसफ़र क्या चीज है ये तब समझ आएगा।।

यादों के भँवर में जब भुलावे का असर छाएगा,
हर कोई खीजेगा, हर कोई चिल्लाएगा...
मग़र
हमसफ़र बनकर तेरा हमराज़ हर एक बात याद दिलाएगा,
बनेगा वो ही तेरा साथी, वरना हर बन्धन तो सिर्फ ठुकराएगा।।

बुढ़ापा जब तेरा दरवाजा खटखटाएगा।
हमसफ़र क्या चीज है ये तब समझ आएगा।।

क्या अपना क्या पराया हर कोई तुझ पर जब चिल्लाएगा,
रिश्तों के नाम मे जब स्वार्थ नजर आएगा...
मग़र
जीवन का हर स्वप्न बिखरता हुआ नजर आएगा तब सिर्फ..
हमसफ़र ही थामकर हाथ तुझे आखिरी मंजिल तक ले जाएगा।।

बुढ़ापा जब तेरा दरवाजा खटखटाएगा।
हमसफ़र क्या चीज है ये तब समझ आएगा।।

#सुनिधिचौहान✍

🌼....स्वतंत्र हूँ....🌼✍




स्वतंत्र हूँ बन्धनों से,
विचारों में सटीक हूँ

खग की भाँति,
विश्वरूपी नभ में 
पर फैलाने में व्यस्त हूँ

पग में न कोई बेड़ियाँ,
न कोई बुराई से ग्रस्त हूँ

मैं एक पगली पवन भाँति,
स्वयं को कीर्ति व
नित नव दिशा दिखाने को आश्वस्त हूँ

#सुनिधिचौहान

मेरी प्यारी सहेली...✍








जीवन की सबसे प्यारी याद साझा कर रही हूँ ........

24 मार्च 2015, आज से 4साल पहले मेरे जीवन का शायद सबसे खूबसूरत दिन था वो।

      मेरी टीचर ट्रेनिंग के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा का दिन, मन मे परीक्षा के प्रति घबराहट, बार बार यही विचार की न जाने कैसा होगा ये पेपर। इतने दिनों में जो कुछ  पढा कहीं सब भूल तो नही गयी, मस्तिष्क एकदम से खाली सा हो गया था परीक्षा के डर की वजह से।

    खैर!! पापा बचपन से आज तक हमेशा एग्जाम में मेरे साथ जरूर जाते हैं, और मेरा भी पूरे रास्ते पापा ड्राइव करते थे और मेरा उनके साथ बैठकर एक ही बात दोहराना, "पापा, मुझे कुछ याद ही नही, मैं तो सब भूल गयी,मैं फेल हो जाऊँगी पापा"। और पापा घर से स्कूल/कॉलेज तक सिर्फ यही समझाते कि, "अरे ऐसा नही है, सब याद है , जब पेपर सामने आएगा सब याद आ जाएगा",  बहुत हिम्मत देता था ये कथन।

उस दिन भी यही हुआ हमेशा की ही तरह सवाल जवाब करते करते परीक्षा केंद्र तक पहुंच तो गई पर डर खत्म नही हुआ।

       लगभग 10मिनट बाद एक चश्मिश सी , लम्बी , सुंदर सी लड़की एंट्री ली। चूँकि मेरा नंबर फर्स्ट था तो पंक्ति में सबसे आगे मैं ही बैठी थी, वो लड़की आयी और मेरे पीछे वाली सीट पर बैठ गयी। मन मे हुआ कि पूछूँ , कुछ बात करूँ पर अजनबी से एकदम से कैसे बोल जाऊँ से भी मन मे चल रहा था।
अचानक से वो बोली, सुनो......क्या नाम है आपका। मै भी डरी हुई थी पेपर की चिंता में तो झटपट बता दी , सुनिधि चौहान नाम है।

           उसके बाद एड्रेस, सब्जेक्ट वगैरह पूछ लिया उसके बाद मेरा हमेशा की तरह वही प्रश्न दोहराने की आदत नही बदली मैं बोली, सुनो.....मैं तो सब भूल गयी, कुछ भी याद नही, ऐसा लग रहा जैसे मैने कुछ याद ही नही किया, अब क्या होगा। उसके बाद जो जवाब आया आज दिन तक मेरा एग्जाम के प्रति स्ट्रेस खत्म कर देता है,

वो बोली, "अरे यार......क्यों टेंशन लेती हो, मै हूँ न , मै भी कुछ नही पढ़ कर आई पर देखो कहीं टेंशन ले रही, जो होगा अच्छा होगा और अगर बुरा होगा तब की तब देख लेंगे अभी से क्यों मरी जा रही।

उसकी बातें सुनकर मन मे लगा, सही कह रही है अभी से क्यों टेंशन लेना।

खैर!! एग्जाम तो हमारे अच्छे हो गए और हम दोनों ने 80% से ऊपर मार्क्स से टीचर ट्रेनिंग भी कम्पलीट ली पर वहाँ से शुरू हुआ एक नया रिश्ता हमारी दोस्ती का जो आज तक बरकरार है।

सहपाठियों से  मित्रता का भाव तो बचपन से ही चलता आता है पर मेरे जीवन मे कभी कोई दोस्त नही बनी थी उस रिश्ते को पहली बार मैंने जिया किसी के साथ तो उसका नाम है👇👇

❤ "दीक्षा तिवारी" @deardeeksha ❤

मेरे जीवन की पहली और सबसे अच्छी दोस्त❤

ऐसा नही है कि हमारे बीच कभी लड़ाई नही होती, इतने सालों में हम सैकड़ो बार झगड़े, एक दूसरे से बात बन्द की एक य दो महीने तक, लेकिन कभी दूर नही हुए, फिक्र , प्यार, भरोसा हमेशा बनाए रखा , और यही हमारे रिश्ते की बुनियाद है कि हम जो भी है जैसे भी एक दूसरे के लिए सच्चे है, चाहे कितनी भी बड़ी गलती की पर बता हमेशा देते है, आलम ये है कि अगर हम एक दूसरे के बिना रह नही सकते।

       अब रिश्ता दोस्ती का इतना गहरा है कि सारी दुनिया भी कोशिश कर ले नही तोड़ सकती। कुछ ऐसा रिश्ता है मेरा बेस्टी के साथ कि अगर सुबह सुबह कॉल न आए तो लगता जैसे कुछ है ही नही जिंदगी में। सच बोलूँ तो वो मेरी दोस्त, मेरी जान है। और उस दोस्ती पर सब कुछ कुर्बान है।

साल दर साल यूँही गुजरते रहेंगे, और मेरा मेरी जानू से रिश्ता यूँही बढ़ता ही रहेगा💕💕

~~ईश्वर का दिया सबसे प्यारा उपहार है दीक्षु मेरे जीवन में~~

❤❤बहुत बहुत थैंक यू बेस्टी, मेरे खुशियों में, दुखों में, परेशानियों में, मेरी हिम्मत, मेरी साथी बनने के लिए❤❤

💕💕💕💕ढेर सारा प्यार बाबू💕💕💕





प्रेम .........यौवन की ललक!!!!





यौवन की ललक रखकर,
         प्रेम का प्रदर्शन करते है।।

छल व स्वार्थ में गैर के,
        यहाँ बेगुनाह मरते है।।

जिस पर लुटा देते है सर्वस्व,
        उनके ही चेहरे पर हजार पर्दे रहते है।।

करते है ढोंग जी जान से,
       वही पीठ पीछे गुनाहों पर गुनाह करते है।।

उठाकर फायदा मासूमियत का छल से,
       कहते फिरते है अब वो परेशान करते है।।

दुख दर्द कभी समझ कर देखिए उनका जनाब,
       जो खामोशी से तड़प कर मौत का इंतजार करते है।।

कितनी हिम्मत से नवाजा है ईश्वर ने उन्हें,
       धोखे सहकर भी मोहब्बत पर एतबार करते है।।

#सुनिधि

राष्ट्रीय बालिका दिवस






बेटी बचाओ सब कहते है,
          क्यों कदम नही उठता कोई????

बेटी हित में दिवस मनाते,
          क्यों कोई नही बचाता कोई????

सदभाव भरे शब्द बोलकर,
           बड़े बड़े भाषण देते हो....!!

दहेज की बेदी में जलती,
            क्यों नही बहू बचाता है कोई????

बोल चुके जो कुछ कहना था,
             उठकर अब कुछ कर दिखलाओ

नारी हित में कदम उठाकर,
               अब मिशाल बना दो हर कोई।।

#सुनिधि

खामोश....

कितनी उथल पुथल मची है संसार में,
मैं हूँ खामोश तमाम यार में।।

दिल सह जाता है दर्द मुस्कुराकर,
लाख छलनी है मोहब्बत के प्रहार में।।

जब भी करते है गुफ़्तगू दिल पर वार करते है,
कुछ तो बात है अब भी मेरे यार में।।

समझाने को चाहता है दिल मगर दिमाग रोक लेता है,
क्यों खामखाँ रक्खा है जकड़ इस जंजाल में।।

हर तरह धोखा औऱ स्वार्थ है भरा,
भावनाओं का मोल ही नही है मतलबी संसार में।।

निशां मिटने नही देता रूह से अब भी उनके,
शायद कुछ तो बाकी है असर अब भी मेरे प्यार में।।

जब भी खोली है किताब बीती जिंदगी की,
हर एक लफ्ज़ घायल पाया किसी गैर की फरियाद में।।

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