मेरी प्यारी सहेली...✍








जीवन की सबसे प्यारी याद साझा कर रही हूँ ........

24 मार्च 2015, आज से 4साल पहले मेरे जीवन का शायद सबसे खूबसूरत दिन था वो।

      मेरी टीचर ट्रेनिंग के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा का दिन, मन मे परीक्षा के प्रति घबराहट, बार बार यही विचार की न जाने कैसा होगा ये पेपर। इतने दिनों में जो कुछ  पढा कहीं सब भूल तो नही गयी, मस्तिष्क एकदम से खाली सा हो गया था परीक्षा के डर की वजह से।

    खैर!! पापा बचपन से आज तक हमेशा एग्जाम में मेरे साथ जरूर जाते हैं, और मेरा भी पूरे रास्ते पापा ड्राइव करते थे और मेरा उनके साथ बैठकर एक ही बात दोहराना, "पापा, मुझे कुछ याद ही नही, मैं तो सब भूल गयी,मैं फेल हो जाऊँगी पापा"। और पापा घर से स्कूल/कॉलेज तक सिर्फ यही समझाते कि, "अरे ऐसा नही है, सब याद है , जब पेपर सामने आएगा सब याद आ जाएगा",  बहुत हिम्मत देता था ये कथन।

उस दिन भी यही हुआ हमेशा की ही तरह सवाल जवाब करते करते परीक्षा केंद्र तक पहुंच तो गई पर डर खत्म नही हुआ।

       लगभग 10मिनट बाद एक चश्मिश सी , लम्बी , सुंदर सी लड़की एंट्री ली। चूँकि मेरा नंबर फर्स्ट था तो पंक्ति में सबसे आगे मैं ही बैठी थी, वो लड़की आयी और मेरे पीछे वाली सीट पर बैठ गयी। मन मे हुआ कि पूछूँ , कुछ बात करूँ पर अजनबी से एकदम से कैसे बोल जाऊँ से भी मन मे चल रहा था।
अचानक से वो बोली, सुनो......क्या नाम है आपका। मै भी डरी हुई थी पेपर की चिंता में तो झटपट बता दी , सुनिधि चौहान नाम है।

           उसके बाद एड्रेस, सब्जेक्ट वगैरह पूछ लिया उसके बाद मेरा हमेशा की तरह वही प्रश्न दोहराने की आदत नही बदली मैं बोली, सुनो.....मैं तो सब भूल गयी, कुछ भी याद नही, ऐसा लग रहा जैसे मैने कुछ याद ही नही किया, अब क्या होगा। उसके बाद जो जवाब आया आज दिन तक मेरा एग्जाम के प्रति स्ट्रेस खत्म कर देता है,

वो बोली, "अरे यार......क्यों टेंशन लेती हो, मै हूँ न , मै भी कुछ नही पढ़ कर आई पर देखो कहीं टेंशन ले रही, जो होगा अच्छा होगा और अगर बुरा होगा तब की तब देख लेंगे अभी से क्यों मरी जा रही।

उसकी बातें सुनकर मन मे लगा, सही कह रही है अभी से क्यों टेंशन लेना।

खैर!! एग्जाम तो हमारे अच्छे हो गए और हम दोनों ने 80% से ऊपर मार्क्स से टीचर ट्रेनिंग भी कम्पलीट ली पर वहाँ से शुरू हुआ एक नया रिश्ता हमारी दोस्ती का जो आज तक बरकरार है।

सहपाठियों से  मित्रता का भाव तो बचपन से ही चलता आता है पर मेरे जीवन मे कभी कोई दोस्त नही बनी थी उस रिश्ते को पहली बार मैंने जिया किसी के साथ तो उसका नाम है👇👇

❤ "दीक्षा तिवारी" @deardeeksha ❤

मेरे जीवन की पहली और सबसे अच्छी दोस्त❤

ऐसा नही है कि हमारे बीच कभी लड़ाई नही होती, इतने सालों में हम सैकड़ो बार झगड़े, एक दूसरे से बात बन्द की एक य दो महीने तक, लेकिन कभी दूर नही हुए, फिक्र , प्यार, भरोसा हमेशा बनाए रखा , और यही हमारे रिश्ते की बुनियाद है कि हम जो भी है जैसे भी एक दूसरे के लिए सच्चे है, चाहे कितनी भी बड़ी गलती की पर बता हमेशा देते है, आलम ये है कि अगर हम एक दूसरे के बिना रह नही सकते।

       अब रिश्ता दोस्ती का इतना गहरा है कि सारी दुनिया भी कोशिश कर ले नही तोड़ सकती। कुछ ऐसा रिश्ता है मेरा बेस्टी के साथ कि अगर सुबह सुबह कॉल न आए तो लगता जैसे कुछ है ही नही जिंदगी में। सच बोलूँ तो वो मेरी दोस्त, मेरी जान है। और उस दोस्ती पर सब कुछ कुर्बान है।

साल दर साल यूँही गुजरते रहेंगे, और मेरा मेरी जानू से रिश्ता यूँही बढ़ता ही रहेगा💕💕

~~ईश्वर का दिया सबसे प्यारा उपहार है दीक्षु मेरे जीवन में~~

❤❤बहुत बहुत थैंक यू बेस्टी, मेरे खुशियों में, दुखों में, परेशानियों में, मेरी हिम्मत, मेरी साथी बनने के लिए❤❤

💕💕💕💕ढेर सारा प्यार बाबू💕💕💕





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