लिख रही हूँ…..


#विरह!!
की बेड़ियों में जकड़ी हुई,,
#अश्रु-पूर्ण 
#व्याकुलता लिख रही हूँ.....

किसी प्रेयसी की,,
#आशा, व्याकुल तड़प को ,,
#प्रेम की निराशा लिख रही हूँ…..

विवशता के मार्ग पर,
वेदना के कर्कश स्वरों की,,
एक दर्दनाक दास्तां लिख रही हूँ.....

बेबस सुबकियां से, 
विरक्त रूह को,,
शब्दों से दिलासा लिख रही हूँ......!!


         ©
सुनिधिचौहन✍
@Sunidhichauhaan

उन्हें मेरी याद,, आयी नही,

उन्हें मेरी याद,, 
     आयी नही,

ऐसा लगता है, 
    जाँ मुस्कुराई नही।

हुई शाम फिर से,
     वही चाँद आया...
मगर चाँदनी,
     फिर से छाई नही।।

ऐसा लगता है ,,  जाँ मुस्कुराई नही.....

मौन मानो,,  है ठहरा ,,
       इन अधरों पर आकर,
जैसे बरसों से धुन,
      गुनगुनायी नही।

ऐसा लगता है ,,  जाँ मुस्कुराई नही.....

#सुनिधिचौहान

Contact Form

Name

Email *

Message *

Categories

Latest Article

Follow us

Popular Posts