तेरी यादें



लाख गम सहकर भी हम उनसे चाहत निभा गए,
अधूरी चाहत की दास्तान भरी महफ़िल में सुना गए।।

यूँ तो जरूरी नही हर मोहब्बत को मुक़ाम मिले,
फिर भी हम तेरे इंतजार में जिंदगी गुजार गए।।

सूखे पत्ते पतझड़ में भी पेड़ों  बफादारी निभा गए,
टूट गए साख से फिर भी उनके कदमों में आ गए।।

तुमसे क्यों न कहीं गयी कोई नज़्म हमारे लिए,
हम तो तेरी चाहत में कितने तराने बना गए।।

कभी सोचते तुम हमारे लिए एक घड़ी को ही सही,
हम तो हर वक़्त जिंदगी का  तेरी यादों में बिता गए।।

जो उलझने रोकती है तुम्हे मेरा होने से हर वक़्त,
हम उनसे हार मान कर तन्हाइयों में आ गए।।

#सुनिधि

मोहब्बत का दिखावा





जो इज्जत नही करते वो भी मोहब्बत की मिशाल देते है
खुद ही हर रोज अपने महबूब पर कीचड़ उछाल देते है।।

तमाशा बना रखा है भावनाओं का खुद ने ही,
खुद ही कहते है कि सब सवाल करते है।।

मोहब्बत का एक अक्षर भी जिनकी समझ से परे है,
वो भी यहाँ मोहब्बत पर जुमले मार लेते है।।

भरोसा नही करते है  दिलबर पर अपने रत्ती भर,
और कहते फिरते है कि हम उन पर जान देते है।।

समझना  तो बहुत दूर की कौड़ी है मेरे दोस्त,
आप तो खुद की जुबानी अपने दिल का हाल कहते है।।

पहले यकीं करना तो सीख लो जनाब,
क्यों ऐसे अपने महबूब को बदनाम करते हो।।

#सुनिधि

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