लाख गम सहकर भी हम उनसे चाहत निभा गए,
अधूरी चाहत की दास्तान भरी महफ़िल में सुना गए।।
अधूरी चाहत की दास्तान भरी महफ़िल में सुना गए।।
यूँ तो जरूरी नही हर मोहब्बत को मुक़ाम मिले,
फिर भी हम तेरे इंतजार में जिंदगी गुजार गए।।
फिर भी हम तेरे इंतजार में जिंदगी गुजार गए।।
सूखे पत्ते पतझड़ में भी पेड़ों बफादारी निभा गए,
टूट गए साख से फिर भी उनके कदमों में आ गए।।
टूट गए साख से फिर भी उनके कदमों में आ गए।।
तुमसे क्यों न कहीं गयी कोई नज़्म हमारे लिए,
हम तो तेरी चाहत में कितने तराने बना गए।।
हम तो तेरी चाहत में कितने तराने बना गए।।
कभी सोचते तुम हमारे लिए एक घड़ी को ही सही,
हम तो हर वक़्त जिंदगी का तेरी यादों में बिता गए।।
हम तो हर वक़्त जिंदगी का तेरी यादों में बिता गए।।
जो उलझने रोकती है तुम्हे मेरा होने से हर वक़्त,
हम उनसे हार मान कर तन्हाइयों में आ गए।।
हम उनसे हार मान कर तन्हाइयों में आ गए।।
#सुनिधि