यौवन की ललक रखकर,
प्रेम का प्रदर्शन करते है।।
प्रेम का प्रदर्शन करते है।।
छल व स्वार्थ में गैर के,
यहाँ बेगुनाह मरते है।।
यहाँ बेगुनाह मरते है।।
जिस पर लुटा देते है सर्वस्व,
उनके ही चेहरे पर हजार पर्दे रहते है।।
उनके ही चेहरे पर हजार पर्दे रहते है।।
करते है ढोंग जी जान से,
वही पीठ पीछे गुनाहों पर गुनाह करते है।।
वही पीठ पीछे गुनाहों पर गुनाह करते है।।
उठाकर फायदा मासूमियत का छल से,
कहते फिरते है अब वो परेशान करते है।।
कहते फिरते है अब वो परेशान करते है।।
दुख दर्द कभी समझ कर देखिए उनका जनाब,
जो खामोशी से तड़प कर मौत का इंतजार करते है।।
जो खामोशी से तड़प कर मौत का इंतजार करते है।।
कितनी हिम्मत से नवाजा है ईश्वर ने उन्हें,
धोखे सहकर भी मोहब्बत पर एतबार करते है।।
धोखे सहकर भी मोहब्बत पर एतबार करते है।।
#सुनिधि