समर्पण य आकर्षण!!!!

आकर्षण समझकर जुदा होने वाले,
समर्पण देखकर पिघल मत जाना।।

गैर की बातों पर यक़ी करने वाले,
सच्चाई जानकर कहीं बिखर मत जाना।।

मेरे वजूद में एक दरिया सी गहराई छुपी है,
होकर रूबरू उस दरिया से ग़मज़दा हो मत जाना।।

इल्जामों पर सफाई दूँ ये हुनर सीखा ही नही मैने,
मेरी चुप्पी पर एतबार तुम भी कभी, कर मत जाना।।

सत्य छिपता नही छल व फ़रेब के आगे कभी,
सच सुनकर आप खुद पर भी यक़ी छोड़ मत जाना।।

अतीत के पन्नो पर कभी फुर्सत से नजर डालना,
मेरे गमों की परछाई से रूबरू कहीं हो मत जाना।।

कठपुतली बनकर जो मनोरंजन कर रहे हो सबका,
डर लगता है,
किसी रोज डोर की तरह आप भी टूट मत जाना।।

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